Last modified on 20 जुलाई 2019, at 21:03

ज़माने के हाई-वे-पर / मुकेश निर्विकार

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:03, 20 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश निर्विकार |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अपने युग की गति से कटकर
कोई आखिर कैसे जीए?
अपने जमाने की रफ्तार से कटना
सचमुच, नामुमकिन है।
तब तो और भी मुश्किल
जब पूरा संसार ही एक विस्तृत मैदान के बजाए
खचाखच भरा कोई राजमार्ग बन गया हो
और आप भयावह भीड़ में फंसे
एक अदने से यात्री।
जाम-लगी, डिवाइडरयुक्त सड़क पर
सिवाए रुके रहने या आगे बढ्ने के
आपके पास और कोई विकल्प भी क्या है
पीछे मुड़ने का तो हरगिज़ नहीं।

जीवन के हाई-वे पर आप
अपनी स्पीड़ से सुरक्षित चल नहीं सकते

अगर, स्पीड़ कम रखी तो ठोक जाएगा कोई तुम्हें
हाई-वे कोई भी हो,
हर जगह दौड़ रहा होगा यातायात वहाँ
सभी तो लगातार, बेतहाशा, इसीलिए दौड़ रहें हैं जीवन की दौड़
बेशक गिरने तक

जीवन के राजमार्ग पर आप
अपनी इच्छा से
खड़े रह कर सुस्ता नहीं सकते!