फायदा क्या हताश होने से,
किसको क्या मिल गया है रोने से,
मुझको कितना सुकून हासिल है,
ग़म के दरया में दिल डुबोने से,
लज़्ज़तें हिज्र की न पूछो बस,
चश्में तर ख़्वाब हैं सलोने से,
रुख पर कितने चराग़ रोशन हैं,
इक तेरे आस - पास होने से।