भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
फ़ायदा क्या हताश होने से / अनीता मौर्या
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:52, 9 अगस्त 2019 का अवतरण (Sharda suman ने फायदा क्या हताश होने से / अनीता मौर्या पृष्ठ फ़ायदा क्या हताश होने से / अनीता मौर्या पर...)
फायदा क्या हताश होने से,
किसको क्या मिल गया है रोने से,
मुझको कितना सुकून हासिल है,
ग़म के दरया में दिल डुबोने से,
लज़्ज़तें हिज्र की न पूछो बस,
चश्में तर ख़्वाब हैं सलोने से,
रुख पर कितने चराग़ रोशन हैं,
इक तेरे आस - पास होने से।