वाज़िब किराया
तटस्थ भाव रखनेवाला इलाका
मकान मालिकन ने हलफ़िया कहा
कि वह इस इमारत में नहीं रहती
अब मुझे अपना बारे में इक़बाल करना ही बाक़ी रह गया था
आगाह करते हुए मैंने उनसे कहा —
“मैडम आने-जाने में समय बर्बाद करना मुझे नापसन्द है
मैं पहले बता दूँ कि मैं अफ्रीकी हूँ।”
खिंच गई ख़ामोशी
आभिजात्य ख़ामोशी के बोझ से टूट गई बात की लड़ी
फिर लिपस्टिक रँगी आवाज़ के साथ
सुनहरी लम्बी सिगरेटदानी से सिगरेट निकालने की चीं-चीं सुनाई दी
लगा कि मैं ग़लत फंस गया ।
“कितना काला है रंग “हाँ ! मैंने ग़लत नहीं सुना था
“तुम हलके काले हो या गहरे ? एक बटन फिर दूसरा बटन
लुका- छिपी वाली सार्वजनिक बातचीत की सड़ी दुर्गन्ध तिरने लगी
लाल बूथ,लाल बम्ब और दो तल्ला लाल, बस,
काले तारकोल को रगेदती हुई — यह यथार्थ था
अभद्र ख़ामोशी से शर्मिन्दा ।
मुझ आहत अवाक् को सहज करने के लिहाज में
अपने लफ्ज़ों के ज़ोर में फ़र्क लाते हुए बोली —
“तुम गहरे काले हो या हल्के ?” फिर उसने और खुलकर पूछा
“यानी कि तुम निखालिस चाकलेटी हो दूधिया चाकलेटी ?”
उसकी आवाज़ में नैदानिक परीक्षण सी तटस्थता थी
जैसे उसने अपनी आवाज़ तले अपनी शख़्सियत दबा दी हो
फ़ौरन हमारे मन के तारों में तालमेल हो गया ।
टोहते हुए मैंने कहा — ”पश्चिमी अफ्रीकी सीपिया”
दुबारा ख़याल आया तो कहा — ”पासपोर्ट में तो यही दर्ज़ है“
ख़ामोश कल्पना की उड़ान में वह उस रँग का ख़ाका खींच ही रही थी
कि तभी सचाई से तमतमा गया माउथपीस पर उसका लहज़ा —
“वह क्या होता है?” हताश होकर उसने पूछा ।
“नहीं जानता क्या होता है यह” — "समझ लीजिए, श्वेत लड़की के भूरे बाल”
”मतलब काला । क्यों यही न ?”
“पूरा बिलकुल वैसे जैसा नहीं
चेहरे से गहरा भूरा हूँ,लेकिन मैडम बाक़ी मेरी देह देखें
मेरी हथेलियाँ.मेरे तलुए उजले हैं
जैसेकि परऑक्साइड से साफ़ किया गया हो
हाँ ! मेरे बैठने के बेहूदे तरीके से रगड़ खा खाकर मेरा चूतड़
जरूर कव्वे सा काला हो गया है”
यह भाँपकर कि उसके रिसीवर के पटकने की आवाज़
मेरे कान में सुनाई देनेवाली है
मैंने चिरौरी की — “एक मिनट, मैडम
“क्या आप मुझे ख़ुद देखना नहीं चाहेंगी ?”
अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास