भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चलेंगे साथ मिलकर हम / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:50, 19 दिसम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवधेश्वर प्रसाद सिंह |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चलेंगे साथ मिलकर हम।
जमाने से भुलाकर गम।।

कहो कैसी लगी दुनिया।
हुई क्या संग से कुछ कम।।

मचा है शोर कुछ ऐसा।
धरा पर दिख रहे मातम।।

झपटते लोग खुशियों को।
गयीं हैं सांस सबकी थम।।

भला क्या है बुरा क्या है।
समझते है बहुत ही कम।।

झनकते पैर में घँुघरू।
थिरकते साज पर सरगम।।