Last modified on 12 मई 2020, at 22:48

सफिया का हालचाल / भारतेन्दु मिश्र

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:48, 12 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारतेंदु मिश्र |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जब से होश सँभाला
बस अम्मी के कन्धे पर रही
अस्पताल हो या पीरबाबा की मजार
स्कूल से घर और घर से स्कूल तक
अम्मी का कन्धा ही उसका रिक्शा बना
जब कभी अम्मी बीमार हुई उसे छुट्टी करनी पड़ी
तमाम दुआओं ताबीजों के बावजूद
अपने पैरों कभी खड़ी नही हो पायी सफिया
बैसाखी के बल मुश्किल था
स्कूल तक पहुँचना
रिक्शे के पैसे न थे
पर वो हारी नही
गरीबी और अगम्यता से
लड़ती रही अकेली
बिना सहेली
फिर एक दिन सफिया को स्कूल से मिली
एक ट्राईसाइकल
उसकी सीट पर बैठकर पहली बार
वो रोई थी देर तक खुशी से
अब तो उसके ख़्वाबों के पर निकल आये हैं
वो अपने हाथों तय करती है
अपना सफ़र बेखौफ़
सबकुछ सुगम्य हो गया है
अब उसके लिए
सहेलियाँ भी पूछती हैं
सफिया का हाल चाल।