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सांध्यगीत / महादेवी वर्मा
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सांध्यगीत
रचनाकार | महादेवी वर्मा |
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प्रकाशक | लोकभारती प्रकाशन |
वर्ष | 1935 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता संग्रह |
विधा | |
पृष्ठ | 80 |
ISBN | |
विविध |
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इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- प्रिय! सान्ध्य गगन / महादेवी वर्मा
- प्रिय मेरे गीले नयन बनेंगे आरती! / महादेवी वर्मा
- क्या न तुमने दीप बाला? / महादेवी वर्मा
- रागभीनी तू सजनि निश्वास / महादेवी वर्मा
- अश्रु मेरे माँगने जब / महादेवी वर्मा
- क्यों वह प्रिय आता पार नहीं! / महादेवी वर्मा
- जाने किस जीवन की सुधि ले / महादेवी वर्मा
- शून्य मन्दिर में बनूँगी / महादेवी वर्मा
- प्रिय-पथ के यह मुझे अति प्यारे ही हैं / महादेवी वर्मा
- रे पपीहे पी कहाँ / महादेवी वर्मा
- विरह की घडियाँ हुई अलि / महादेवी वर्मा
- शलभ मैं शापमय वर हूँ! / महादेवी वर्मा
- पंकज-कली! / महादेवी वर्मा
- हे मेरे चिर सुन्दर-अपने! / महादेवी वर्मा
- मैं सजग चिर साधना ले! / महादेवी वर्मा
- मैं किसी की मूक छाया हूँ न क्यों पहचान पाता! / महादेवी वर्मा
- यह सुख दुखमय राग / महादेवी वर्मा
- सो रहा है विश्व, पर प्रिय तारकों में जागता है! / महादेवी वर्मा
- री कुंज की शेफालिके! / महादेवी वर्मा
- मैं नीर भरी दुख की बदली! / महादेवी वर्मा
- आज मेरे नयन के तारक हुए जलजात देखो! / महादेवी वर्मा
- प्राण रमा पतझार सजनि / महादेवी वर्मा
- झिलमिलाती रात मेरी! / महादेवी वर्मा
- दीप तेरा दामिनी! / महादेवी वर्मा
- फिर विकल हैं प्राण मेरे! / महादेवी वर्मा
- मेरी है पहेली बात! / महादेवी वर्मा
- चिर सजग आँखे उनींदी / महादेवी वर्मा
- कीर का प्रिय आज पिंजर खोल दो! / महादेवी वर्मा
- प्रिय चिरन्तन है सजनि / महादेवी वर्मा
- ओ अरुण वसना! / महादेवी वर्मा
- देव अब वरदान कैसा! / महादेवी वर्मा
- तन्द्रिल निशीथ में ले आये / महादेवी वर्मा
- यह संध्या फूली सजीली! / महादेवी वर्मा
- जाग जाग सुकेशिनी री! / महादेवी वर्मा
- तब क्षण क्षण मधु-प्याले होंगे! / महादेवी वर्मा
- आज सुनहली वेला! / महादेवी वर्मा
- नव घन आज बनी पलकों में! / महादेवी वर्मा
- क्या जलने की रीति शलभ समझा दीपक जाना? / महादेवी वर्मा
- सपनों की रज आँज गया / महादेवी वर्मा
- क्यों मुझे प्रिय हों न बन्धन ! / महादेवी वर्मा
- हे चिर महान्! / महादेवी वर्मा
- सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी! / महादेवी वर्मा
- कोकिल गा न ऐसा राग! / महादेवी वर्मा
- तिमिर में वे पदचिह्न मिले! / महादेवी वर्मा