भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लड़की जात हो / अलकनंदा साने
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:46, 20 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अलकनंदा साने |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
लड़की जात हो----ठठाकर मत हँसो
लड़की जात हो----र फैलाकर मत बैठो
लड़की जात हो----तनकर मत चलो
लड़की जात हो----सबके बीच बाल मत औंछो
लड़की जात हो----गर्दन नीची रखो
लड़की जात हो----नजरें झुकाए रखो
लड़की जात हो----थोडा-सा करो और ज्यादातर मत करो
देह कन्या से बूढ़ी हो गई
पर दिमाग़ से नहीं गई----लड़की जात ...