भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सच की तरह / देवेन्द्र आर्य

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:50, 11 जुलाई 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवेन्द्र आर्य |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तोड़ती है
एक चुप्पी
एक
चुप्पी जोड़ती है
आप किसके
साथ हो, बोलो !

एक है कमज़ोर
गलगल
दूसरी है पुष्ट
दलदल ।
एक गूँगी
अर्थ के अनगिन
झरोखे खोलती है
एक पुस्तक
की तरह
अलमारियों में
डोलती है
आप किसके
साथ हो, बोलो !

झूठ का
मतलब चिता है
सच का
मतलब अस्मिता है
एक सच्चाई
भरम-सी उम्रभर
रिश्ता निभाती
दूसरी,
सच की तरह
मझधार में ही
छोड़ती है
आप किसके
साथ हो, बोलो !