भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बेवफ़ा प्यार / हाइनरिष हायने / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:16, 7 जुलाई 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हाइनरिष हायने |अनुवादक=अनिल जनवि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मेरी बाँहों में लेटी होंगी तू
बदन तेरा जल रहा होगा ताप से
थरथरा रहे होंगे हम प्यार में गुम
मैं घबरा रहा होऊँगा ख़ुद अपने आप से
मेरी बाँहों में लेटी होंगी तू
और मैं चूम रहा होऊँगा तेरे घुंघराले बाल
आकर्षक चेहरा तेरा चमक रहा होगा
छाती में मेरी घुस गया होगा तेरा चौड़ा भाल
मेरी बाँहों में लेटी होंगी तू
मैं सोच रहा होऊँगा, लो, सपने सब पूर हो गए
दिव्य आनन्द में गहरे डूबा होऊँगा तब
हम प्रेम में डूबे, इश्क़ के मद में चूर हो गए
मुझे शक है अब भी इस प्यार में अपने
कहीं बेवफ़ा न निकलूँ, दर्द न दे दूँ, ज़ख़्म न दे दूँ
डूब न जाऊँ जब तक प्यार के इस खुले घाव में
इस घाव को अपनी उँगली से मैं न कुरेदूँ
रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय