Last modified on 18 जुलाई 2022, at 18:08

जोगिया मोर जगत सुखदायक / विद्यापति

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:08, 18 जुलाई 2022 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आगे माई, जोगिया मोर जगत सुखदायक, दुःख ककरो नहिं देल

दुःख ककरो नहिं देल महादेव, दुःख ककरो नहिं देल
एही जोगिया के भाँग भुलैलक, धतुर खोआई धन लेल

आगे माई, कार्तिक गणपति दुई जन बालक, जन भरी के नहिं जान
तिनक अभरन किछओ न टिकइन, रतियक सन नहिं कान

आगे माई, सोना रूपा अनका सूत, अभरन अपने रुद्रक माल
अपना मँगलो किछ नै जुरलनी, अनका लै जंजाल

आगे माई, छन में हेरथी कोटिधन बकसथी, वाहि देवा नहिं थोर
भनहिं विद्यापति सुनू हे मनाइनि, इहो थिका दिगम्बर मोर