Last modified on 5 जनवरी 2023, at 21:53

को‌ई गाता मैं सो जाता / हरिवंशराय बच्चन

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:53, 5 जनवरी 2023 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

संसृति के विस्तृत सागर में
सपनों की नौका के अंदर
दुख सुख की लहरों मे उठ गिर
बहता जाता, मैं सो जाता ।

आँखों में भरकर प्यार अमर
आशीष हथेली में भरकर
को‌ई मेरा सिर गोदी में रख
सहलाता, मैं सो जाता ।

मेरे जीवन का खारा जल
मेरे जीवन का हालाहल
को‌ई अपने स्वर में मधुमय कर
बरसाता मैं सो जाता ।

को‌ई गाता मैं सो जाता
मैं सो जाता
मैं सो जाता