Last modified on 9 जनवरी 2023, at 17:42

हर फ़सल चालाकियों की / रामकुमार कृषक

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:42, 9 जनवरी 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामकुमार कृषक |अनुवादक= |संग्रह=स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हर फ़सल चालाकियों की
आज की खेती !

स्वारथों के खेत
अनगिन
चापलूसी मेह
किसलिए हल-बैल-मेहनत
क्यों कसीली देह,

देह की बारीकियों की
आज की खेती !

तिकड़मों के बीज
उन्नत
यारबासी खाद
चुटकियों से उग रही यों
कागज़ी औलाद,
बाप से बेबाकियों की
आज की खेती !

7-10-1976