Last modified on 13 नवम्बर 2008, at 19:59

नखशिख वर्णन नहीं / नासिर अहमद सिकंदर

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:59, 13 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नासिर अहमद सिकंदर |संग्रह= }} <Poem> उसका चेहरा गोल आ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उसका चेहरा गोल
आँखें सीपियाँ
नावनुमा भौंहें
होंठ लिपस्टिक बिन लाल
नाक
दूर से देखी पहाड़ी का उभरा कोना

यह कविता में--
नखशिख वर्णन नहीं
उसके गाल जिसमें तिल भी एक
जिसे दरबान बताते शायर
आज जब वह सुबह-सुबह आई आफ़िस
उस पर निशान उंगलियों के
मर्दाना।