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नखशिख वर्णन नहीं / नासिर अहमद सिकंदर
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उसका चेहरा गोल
आँखें सीपियाँ
नावनुमा भौंहें
होंठ लिपस्टिक बिन लाल
नाक
दूर से देखी पहाड़ी का उभरा कोना
यह कविता में--
नखशिख वर्णन नहीं
उसके गाल जिसमें तिल भी एक
जिसे दरबान बताते शायर
आज जब वह सुबह-सुबह आई आफ़िस
उस पर निशान उंगलियों के
मर्दाना।