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मैं लौटूँगी / रुचि बहुगुणा उनियाल

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जैसे लौट आती हैं
ऋतुएँ,

जैसे लौटती हैं
हर शाम चिड़ियाँ
घोंसले में,

जैसे लौटती है
गाय
अपने बछड़े के पास
गोधूलि में,

जैसे लौट आता है
बचपन
नाती-पोते के रूप में,

हाँ
मैं लौट आऊँगी
एक दिन-

जैसे लौटती है
एक मीठी याद,

बस तुम बचाए रखना
मेरे लौटने तक
पुनर्मिलन की इच्छा