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नौकरशाह / रोके दाल्तोन / कविता कृष्णपल्लवी

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नौकरशाह नीरसता और ऊब के
तूफ़ानी सागर में तैरते रहते हैं ।
वे सबसे पहले कोमलता की हत्या करते हैं
अपनी घिनौनी जम्हाइयों के बाद

जब उनका अंत होता है बीमार जिगर के साथ
वे मरते हैं टेलीफोन को मुट्ठी में भींचे हुए
उनकी पीली आँखें गड़ी होती हैं दीवार घड़ी पर ।

उनके हाथ की लिखावट उम्दा होती है
और वे अपने लिए नेकटाइयाँ ख़रीदते हैं
जब उन्हें पता चलता है कि उनकी बेटियाँ हस्तमैथुन करती हैं
तो उन्हें दिल का दौरा पड़ जाता है

उनके ऊपर उनके दर्ज़ी के बिल का बक़ाया होता है
और वे बार में शराब पीने के आदी होते हैं
वे रीडर्स डाइजेस्ट और नेरूदा की प्रेम कविताएँ पढ़ते हैं
वे इतालवी ऑपेरा के शौक़ीन होते हैं
और ख़ुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं

वे घनघोर कम्युनिस्ट-विरोधी घोषणापत्रों पर
दस्तख़त करते हैं
व्यभिचार उन्हें बर्बाद कर देता है
और वे आत्महत्या करते हैं बिना किसी ग़ैरत के

वे खेलकूद से लगाव का दिखावा करते हैं
और इस बात पर शर्मिन्दा रहते हैं
भयंकर रूप से शर्मिन्दा रहते हैं
कि उनका बाप एक बढ़ई था ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद  : कविता कृष्णपल्लवी