भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ब्लोक के लिए-4 / मरीना स्विताएवा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:12, 23 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मरीना स्विताएवा |संग्रह=आएंगे दिन कविताओं के / म...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खोह चाहिए वन्य-पशु को,
राह चाहिए मुसाफ़िर को,
और मृतक को चाहिए ताबूत
इच्छाएँ हर एक की होती हैं अलग-अलग ।

औरत चाहती है छल-कपट करना,
राजा चाहता है करना राज,
और मैं चाहती हूँ करना
गरिमा से मंडित
तुम्हारे नाम को ।

रचनाकाल : 2 मई 1916

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह