भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आसान नहीं / रमा द्विवेदी

Kavita Kosh से
Ramadwivedi (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:25, 25 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमा द्विवेदी }} }} चुप-चुप रह कर आंसू पीना,<br> आसान न...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

}}


चुप-चुप रह कर आंसू पीना,
आसान न यह गम होता है।
मिट-मिट करके जीते जाना,
आसान न यह दम होता है॥

बंधुआ बन-बन कर जीना,
आसान न वो मन होता है।
तप-तप कर कुछ बनते जाना,

आसान न यह फ़न होता है॥

तन का बंधन,मन का क्रंदन,
यह बोझ न कुछ कम होता है।
कोल्हू के बैल सा चलते जाना,
आसान न यह श्रम होता है॥

सच्चाई पर चलते जाना ,
आसान न यह पथ होता है।
उम्मीदों पर जीवित रहना,
आसान न यह भ्रम होता है॥