Last modified on 30 नवम्बर 2008, at 13:53

'लौकिक संकेत' कविता-क्रम से-1 / मरीना स्विताएवा

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:53, 30 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मरीना स्विताएवा |संग्रह=आएंगे दिन कविताओं के / म...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ढूंढ़ तू भी अपने लिए विश्वसनीय दोस्त
जिसने दिखाए न हों कोई करिश्मे ।
जानती हूँ- वीनस करतब है हाथों का
जानती हूँ- कौन है कलाकार और कैसी यह कला ।

उत्कृष्ट ख़ामोशियों से लेकर
हृदय के पूरा कुचले जाने तक
पूरे दिव्य सोपान-तन्त्र की सीमाएँ
निर्धारित होती हैं मेरे साँस लेने और न लेने से ।


रचनाकाल : 18 जून 1922

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह