लेखन वर्ष: २००५
साँसों में दर्द भरा है
हर मन्ज़र हरा है
वह पहली नज़र से
इस दिल में ठहरा है
हर शय में वह है
और उसका चेहरा है
दर्द सिमटता नहीं
हाल हर पल बुरा है
अँधेरों की आदत नहीं
जुगनुओं का पहरा है
वह पसंद है मुझे
उसका दिल गहरा है
लेखन वर्ष: २००५
साँसों में दर्द भरा है
हर मन्ज़र हरा है
वह पहली नज़र से
इस दिल में ठहरा है
हर शय में वह है
और उसका चेहरा है
दर्द सिमटता नहीं
हाल हर पल बुरा है
अँधेरों की आदत नहीं
जुगनुओं का पहरा है
वह पसंद है मुझे
उसका दिल गहरा है