भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

साँचा:KKEkMoti

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 एक काव्य मोती

पता नहीं कि मेरे बाद उन पे क्या गुज़री,
मैं चंद ख़्वाब ज़माने में छोड़ आया था|

कविता कोश में जाँ निसार अख़्तर