भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ज़रूरत है / लीलाधर जगूड़ी

Kavita Kosh से
92.243.181.53 (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 01:32, 5 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर जगूड़ी |संग्रह = घबराये हुए शब्द / लीलाधर जगूड...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज़रूरत है
पहलवानी और गुण्डेपन से बाहर
एक ऎसी ताक़त की
जिसे लेकर
कमज़ोर से कमज़ोर आदमी भी
जीत जाए

ऎसी ताक़त की
जो बैंक के एकाउण्ट
घर या फ़र्नीचर से
तय न होती हो

जिससे आँख मिलाने पर
ठण्डे चूल्हें जल उठें
कुरूप की अच्छाई
दिखने लगे
सुन्दर के
ऎब खुल जाएँ

ज़रूरत है
एक ऎसी ताक़त की
जिसके लिए
आदमी को आदमी से
घृणा न करनी पड़े

(अगर कहीं हो
या किसी में मिल जाय
तो जो हैं
पर दिख नहीं रहे हैं
उनसे सम्पर्क करें)