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ज़रूरत है / लीलाधर जगूड़ी

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ज़रूरत है
पहलवानी और गुण्डेपन से बाहर
एक ऎसी ताक़त की
जिसे लेकर
कमज़ोर से कमज़ोर आदमी भी
जीत जाए

ऎसी ताक़त की
जो बैंक के एकाउण्ट
घर या फ़र्नीचर से
तय न होती हो

जिससे आँख मिलाने पर
ठण्डे चूल्हें जल उठें
कुरूप की अच्छाई
दिखने लगे
सुन्दर के
ऎब खुल जाएँ

ज़रूरत है
एक ऎसी ताक़त की
जिसके लिए
आदमी को आदमी से
घृणा न करनी पड़े

(अगर कहीं हो
या किसी में मिल जाय
तो जो हैं
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