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बरसै बदरिया सावन की / मीराबाई

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रचनाकार: मीराबाई

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बरसै बदरिया सावन की,

सावन की मनभावन की ।

सावन में उमग्यो मेरो मनवा,

भनक सुनी हरि आवन की ॥

उमड घुमड चहुं दिस से आयो,

दामण दमके झर लावन की ।

नान्हीं नान्हीं बूंदन मेहा बरसै,

सीतल पवन सुहावन की ॥

मीरा के प्रभु गिरघर नागर,

आनन्द मंगल गावन की ॥