भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेमहीनता की कविता / आरागों

Kavita Kosh से
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:57, 9 मार्च 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लुई आरागों }} <poem> '''प्रेमहीनता की कविता''' जोड़े ब...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज



प्रेमहीनता की कविता

जोड़े बनते हैं
अनायास यूँ ही
है उनके लिए अजीब ही
कि लोग प्यार करते हैं

प्रेमी किसी शाम
भगवान जाने कैसे
पल भर के लिए जैसे
आते हैं बैठने तमाम

क्षणिक समय इतना
दिल हैं धड़कते
मुश्किल से मिलते
और पड़ता बिछुड़ना

विदा कहते
अधबने शब्द से
हों वह जैसे
नींद में उतरते

रातों के बच्चो अरे
हैं क्रूर छायाएँ बड़ी
तुम्हारी राहों में पड़ी
गुज़रो बिना शब्द किए


(मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी)