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प्यार, नफ़रत या गिला / कमलेश भट्ट 'कमल'

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प्यार, नफ़रत या गिला है, जानते हैं

आपकी नीयत में क्या है, जानते हैं।


अपनी तो कोशिश है सच ज़िन्दा रहे, बस

सच बयाँ करना सज़ा है, जानते हैं।


जुर्म से डरिए कि उसकी है सज़ा भी

सब किताबों में लिखा है, जानते हैं।


क़ायदों का इस क़दर पाबन्द है वो

जुल़्म़ भी बाक़ायदा है, जानते हैं।


जिसकी आँखों में कमी है रोशनी की

वह हमारा रहनुमा है, जानते हैं।


फिर भी हमको प्यार है इस जिन्दगी से

कहने को ये बुलबुला है, जानते हैं।