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बिटिया मेरी / चंद्र कुमार जैन

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न जाने खो गयी
बिटिया मेरी
तीन साल की उम्र से
वह मेरी आँखों का नूर
चली गई है मुझसे दूर
खो गई है पैसों की खनक में
बस गई महलों की रौनक में
वह मेरी प्यारी शाहजादी
सब कहते उसको आजादी