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सिलहार / राम विलास शर्मा
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कवि: राम विलास शर्मा
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पूरी हुई कटाई, अब खलिहान में,
पीपल के नीचे है राशि सुची हुई,
दानों-भरी पकी बालों वाले बड़े
पूलों पर पूलों के लगे अरम्भ हैं ।
बिगही-बरहे दीख पड़े अब खेत में,
छोटे-छोटे ठूँठ-ठूँठ ही रह गये ।
अभी दुपहरी में पर, जब आकाश को
चाँदी का सा पात किये, है तप रहा,
छोटा-सा सूरज सिर पर बैसाख का,
काले धब्बों-से बिखरे वे खेत में
फटे अँगोछों में, बच्चे भी साथ ले,
ध्यान लगा सीला चमार हैं बीनते,
खेत कटाई की मजदूरी, इन्हीं ने
जोता बोया सींचा भी था खेत को ।