Last modified on 20 जून 2009, at 14:40

हम लुका-छुपी खेलेंगे / विम्मी सदारंगाणी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:40, 20 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विम्मी सदारंगाणी |संग्रह= }} <Poem> जब हिटलर सो रहा ह...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जब हिटलर सो रहा होगा

और गांधी अपना चरखा कातने में मग्न होगा

उस वक़्त

हम लिका-छुपी खेलेंगे।


सिन्धी से अनुवाद : स्वयं कवयित्री द्वारा