भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक यात्रा के दौरान / छह / कुंवर नारायण
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:07, 24 जून 2009 का अवतरण
कुछ आवाज़ें ।
कोई किसी को लेने आया है ।
कुछ और आवाज़ें ।
कोई किसी को छोड़ने आया है।
किसी का कुछ छूट गया है।
छूटते स्टेशन पर
छूटे वक़्त की हड़बड़ी में ।
अब एक बज रहा स्टेशन की घड़ी में ।