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ढूँढ़ते फिरते हो अब टूटे हुए दिल में पनाह / यगाना चंगेज़ी

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ढूँढ़ते फिरते हो अब टूटे हुए दिल में पनाह।

दर्द से ख़ाली दिले-गबरू-मुसलमाँ देखकर॥


सब्र करना सख़्त मुश्किल है तड़पना सहल है।

अपने बस का काम कर लेता हूँ आसाँ देखकर॥


ऐसी पिला कि साकि़या! फ़िक्र न हो निजात की।

नशा कहीं उतर न जाय रोज़े-शुमार देखाकर॥


आबला-पा निकल गये काँटों को रौंदते हुए।

सूझा फिर आँख से न कुछ मंज़िले-यार देखकर॥