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गहौ मन सब रस को रस सार / हरिदास

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गहौ मन सब रस को रस सार।
लोक वेद कुल करमै तजिये, भजिये नित्य बिहार॥
गृह, कामिनि, कंचन धन त्यागौ, सुमिरौ स्याम उदार।
कहि 'हरिदास रीति संतन की, गादी को अधिकार॥