लाए कौन संदेश नए घन / महादेवी वर्मा
लेखिका: महादेवी वर्मा
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
लाए कौन संदेश नए घन!
अम्बर गर्वित,
हो आया नत,
चिर निस्पंद हृदय में उसके
उमड़े री पुलकों के सावन!
लाए कौन संदेश नए घन!
चौंकी निद्रित,
रजनी अलसित,
श्यामल पुलकित किम्पत कर में
दमक उठे विद्युत के कंकण!
लाए कौन संदेश नए घन!
दिशि का चंचल,
परिमल-अंचल,
छिन्न हार से बिखर पड़े सखि!
जुगनू के लघु हीरक के कण!
लाए कौन संदेश नए घन!
जड़ जग स्पिन्दत,
निश्चल कम्पित,
फूट पड़े अवनी के संचित
सपने मृदुतम अंकुर बन बन!
लाए कौन संदेश नए घन!
रोया चातक,
सकुचाया पिक,
मत्त मयूरों ने सूने में
झिड़यों का दुहराया नर्तन!
लाए कौन संदेश नए घन!
सुख दुख से भर,
आया लघु उर,
मोती से उजले जलकण से
छाए मेरे विस्मित लोचन!
लाए कौन संदेश नए घन!