Last modified on 8 अगस्त 2009, at 21:44

जब किसी से कोई गिला रखना / निदा फ़ाज़ली

Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:44, 8 अगस्त 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


जब किसी से कोई गिला रखना
सामने अपने आईना रखना

यूँ उजालों से वास्ता रखना
शम्मा के पास ही हवा रखना

घर की तामीर<ref>निर्माण, रचना</ref> चाहे जैसी हो
इस में रोने की जगह रखना

मस्जिदें हैं नमाज़ियों के लिये
अपने घर में कहीं ख़ुदा रखना

मिलना जुलना जहाँ ज़रूरी हो
मिलने-जुलने का हौसला रखना

शब्दार्थ
<references/>