Last modified on 25 अक्टूबर 2006, at 01:39

गाँव मिट जायेगा शहर जल जायेगा / बशीर बद्र

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:39, 25 अक्टूबर 2006 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रचनाकार: बशीर बद्र

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

गाँव मिट जायेगा शहर जल जायेगा
ज़िन्दगी तेरा चेहरा बदल जायेगा

कुछ लिखो मर्सिया मसनवी या ग़ज़ल
कोई काग़ज़ हो पानी में गल जायेगा

अब उसी दिन लिखूँगा दुखों की ग़ज़ल
जब मेरा हाथ लोहे में ढल जायेगा

मैं अगर मुस्कुरा कर उन्हें देख लूँ
क़ातिलों का इरादा बदल जायेगा

आज सूरज का रुख़ हमारी तरफ़
ये बदन मोम का है पिघल जायेगा