भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कौंध के बाद की गरज तले / अवतार एनगिल

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:46, 12 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल }} <poem>...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कौंध के बाद की गरज तले
सड़क के बीचों-बीच
वे मिले अचानक
और चल दिये
साथ-साथ
बिना किसी
भूमिका के
लगे बतियाने
एक-दूसरे के दर्पण बने
यहां तक
कि उनके पास
कोई शब्द न रहे

उन्होंने इक-दूजे को
नहीं सुना
पर सुना
किसी ने
किसी को
नहीं छूआ
पर छूआ

अंततः
उसने कहा
मैं जानती थी
कि निश्चित था
हमारा मिलना
कौंध के बाद की गरज-सा