भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लौटती जनता / प्रेमशंकर रघुवंशी
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:11, 13 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमशंकर रघुवंशी }} <poem> वे, सड़क, पानी बिजली को म...)
वे, सड़क, पानी
बिजली को मुद्दा बनाते
और वे, मंदिर-मस्जिद को
और दोनों की
सभाएँ सुनकर लौटती जनता
पहले से ज़्यादा
गंजापन लिए
सिर पर हथेलियाँ फेरती-
घर लौट आती है।