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मीरा दासी जनम जनम की / मीराबाई
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रचना संदर्भ | रचनाकार: | मीराबाई | |
पुस्तक: | प्रकाशक: | ||
वर्ष: | पृष्ठ संख्या: |
प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय।।
जल बिन कमल, चंद बिन रजनी, ऐसे तुम देख्याँ बिन सजनी।
आकुल व्याकुल फिरूँ रैन दिन, बिरह कालजो खाय।।
दिवस न भूख, नींद नहिं रैना, मुख सूं कथत न आवे बैना।
कहा कहूँ कछु कहत न आवै, मिलकर तपत बुझाय।।
क्यूँ तरसावो अन्तरजामी, आय मिलो किरपाकर स्वामी।
मीरा दासी जनम-जनम की, पड़ी तुम्हारे पाय।।