भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सपने सच्चाईयां / अवतार एनगिल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:28, 7 नवम्बर 2009 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुनो राजा विक्रमार्क !
रात के सन्नाटे में
ख़ामोशियों का शोर जब शुरू होता है
दनदनाती आती है एक गाड़ी

तब
किन्ही अनाम सड़कों को मथता
भागता,आता है एक किशोर
फिर भी
उसकी गुलाबी हथेलियों से
खिसक जाता है
रेल का वह अंतिम डिब्बा
जिसके दरवाज़े का
काला खालीपन
अम्बर--की--आंख---सा--झाकता है

हे राजा !
इस किशोर के साथ
अक्सर अंधेरे सपनों में
यही सब घटता है
जागता है तो देखता है
ख़ूबसूरत सपने
सोता है तो देखता है
बदसूरत सच्चाईयां


एक सपने पर आधारित