Last modified on 29 दिसम्बर 2009, at 12:41

ब्लैकमेलर-3 / वेणु गोपाल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:41, 29 दिसम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

डर!
मेरे लिए कोई आवेग या भावना नहीं है बल्कि अलादीन का
चिराग़ है, जिसे छूने भर की देर है और वह
हाज़िर हो जाता है। निमित्त
याद होती है। हमेशा। जैसे

मैं कमरे में हूँ। और याद आता है कि पहली बार
वह मुझे खूँटी पर या चूल्हे पर दिखा था। इन्सानी
फ़ितरत के तहत नज़रें उस ओर उठ जाती हैं और
मैं पाता हूँ कि वहाँ है मुस्कुराता। मुझ पर
कोई घटिया फ़ब्ती कसता। मैं
एकदम बेचारा होता हूँ कि वह एक बढ़िया

ब्लैक-मेलर भी तो है। मैं
जब-जब पूरी कोशिश के साथ उसे याद
नहीं करना चाहता, तब-तब वह 'मेरे आक़ा' कहता हुआ
जिन्न की तरह हाज़िर हो जाता है। अलादीन
भी क्या मेरी ही तरह ही था? चिराग़ का गुलाम!