भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चुनाव और सरकार / बसंत त्रिपाठी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:37, 4 जनवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बसंत त्रिपाठी }} {{KKCatKavita‎}} <poem> सड़कें सुधर रही हैं श…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सड़कें सुधर रही हैं शहर की
कोलतार की परतें बिछ रहीं
पानी दो बखत
बिजली भी बरोबर
और तो और
जन-प्रतिनिधि भी हर हमेशा पड़ते दिखाई

लगता है
चुनाव नज़दीक है
और सरकार
ख़तरे में है।