Last modified on 16 जनवरी 2010, at 11:05

सोलह कला सरिस पंच दस हैँ बरिस / आत्मा

सम्यक (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:05, 16 जनवरी 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सोलह कला सरिस पंच दस हैँ बरिस ,
चौदहोँ भुवन भरी दीपति विशाला है ।
तेरहू के पति बस द्वादश दिनेश तपैँ ,
ग्यारहू महेश जपैँ भूले ज्ञानमाला हैँ ।
दसहू दिशानन में कहेँ कवि आतमजू ,
नवनिधि आठो सिधि जाके द्वारपाला हैं ।
सातो सुर छैयो राग पांचो गान चारों ताल ,
तीनो ग्राम दोनोंविधि जानै एक बाला हैं ।


आत्मा का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।