Last modified on 27 मई 2010, at 22:28

स्त्री बारिश देख रही है / निर्मला गर्ग

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:28, 27 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निर्मला गर्ग |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> सामने वाली खिड…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

  
सामने वाली खिड़की पर
चाय का कप लिए
एक स्त्री
बारिश देख रही है
उसका नाम शगुफ़्ता ख़ान है

बूँदों को
घास-मिटटी पर पड़ते देख
वैसे ही हलचल से भर रही है
शगुफ़्ता
भर रही हूँ जैसेकि मै
यानी निर्मला गर्ग

आडवानी जी व्याख्या करें
इस चमत्कार की

                   
रचनाकाल : 1994