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टेलीविजन / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
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मेरा टी०वी० है अनमोल ।
खोल रहा दुनिया की पोल ।।
इसमें चैनल एक हज़ार ।
इसके बिन जीवन बेकार ।।
कितना प्यारा और सलोना ।
बच्चों का ये एक खिलौना ।।
समाचार इसमें हैं आते ।
कार्टून हैं ख़ूब हँसाते ।।
गीत और संगीत सुनाता ।
पल-पल की घटना बतलाता ।।
बस रिमोट का बटन दबाओ ।
मनचाहा चैनल पा जाओ ।।
यह सबके मन को भाता है ।
क्रिकेट, कुश्ती दिखलाता है ।।
नृत्य सिखाता, मन बहलाता ।
नये-नये पकवान बताता ।।
नई-नई कारों को देखो ।
जगमग त्योहारों को देखो ।।
नए-नए देखो परिधान ।
टेलीविजन बहुत महान ।।