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लौटकर हरि वृन्दावन आते! / गुलाब खंडेलवाल

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लौटकर हरि वृन्दावन आते!
एक बार मिल लेती राधा उनसे जाते-जाते!

आस न यदि मिलने की देते
क्यों लोचन विरहानल सेते!
और न कुछ तो सुधि ले लेते
कभी गाँव के नाते
 
यमुना-तट पर वंशी बजती
वही युगल जोड़ी फिर सजती
नभ में श्यामल घटा गरजती
मोर, पपीहा गाते!
 
हरि तो योगेश्वर बन फूले
राधा कैसे उनको भूले!
जो उसके मन को भी छू ले
ऐसा ज्ञान सुनाते

लौटकर हरि वृन्दावन आते!
एक बार मिल लेती राधा उनसे जाते-जाते!