भीगे रुमाल हिलाते लोग, सूखे मन ले जाते लोग| होंठों पर षड्यंत्री चुप्पी, मन की गाँठ दिखाते लोग| चंदा जाए झूलाघर तो, घर झूला ला पाते लोग| आपनी अपनी पीर लिए सब, रोते लोग रुलाते लोग| शुद्ध गणित की भाषा मे अब, गीत गज़ल भी गाते लोग |