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सौ वजूहात याद आने के / विजय वाते
Kavita Kosh से
छोडिये जिक्र उस जमाने के,
वो फ़साने हैं दिल दुखाने के |
एक कोशिश है भूल जाने की,
सौ वजूहात याद आने के|
ऐसे जाना भी क्या यार जाना,
तोड़कर पुल गरीब खाने के|
रामजी मुझको और दुःख दे दो
काम आयेंगे गम भुलाने के |