Last modified on 17 मई 2007, at 20:42

कुछ यादगार-ए-शहर-ए-सितमगर / नासिर काज़मी

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:42, 17 मई 2007 का अवतरण (New page: {{KKRachna |रचनाकार=नासिर काज़मी }} Category:गज़ल कुछ यादगार-ए-शहर-ए-सितमगर ही ले चले...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कुछ यादगार-ए-शहर-ए-सितमगर ही ले चलें
आये हैं इस गली में तो पत्थर ही ले चलें

यूँ किस तरह कटेगा कड़ी धूप का सफ़र
सर पर ख़याल-ए-यार की चादर ही ले चलें

रंज-ए-सफ़र की कोई निशानी तो पास हो
थोड़ी सी ख़ाक-ए-कूचा-ए-दिलबर ही ले चलें

ये कह के छेड़ती है हमें दिलगिरफ़्तगी
घबरा गये हैं आप तो बहर ही ले चलें

इस शहर-ए-बेचराग़ में जायेगी तू कहाँ
आ ऐ शब-ए-फ़िराक़ तुझे घर ही ले चलें