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चारागर / मख़दूम मोहिउद्दीन

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चारागर<ref>वैद्य</ref>

इक चम्बेली के मंडवे तले
मयकदे से ज़रा दूर उस मोड़ पर
दो बदन
प्यार की आग में जल गए
प्यार हर्फ़े वफ़ा<ref>निष्ठा का अक्षर</ref>
प्यार उनका ख़ुदा
प्यार उनकी चिता
दो बदन
ओस में भीगते, चाँदनी में नहाते हुए
जैसे दो ताज़ा रू <ref>आत्मा</ref>

शब्दार्थ
<references/>

<ref>दुनिया</ref>