Last modified on 13 अगस्त 2010, at 23:57

मेरे ड्राइंग रूम में / संजीव बख़्शी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:57, 13 अगस्त 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= संजीव बख़्शी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> मेरे ड्राइंग-र…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरे ड्राइंग-रूम में
महीनों से
बिना नागा
आने वाली चिड़ियों को
मै
थोड़ा भी नहीं पहचानता
इतना भी नहीं
जितना
वे चिड़िया शायद
मुझे
पहचानती होंगी